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Daily Horoscope, Astrology, Predictions, Birth Chart, Fortune Telling - Jyotish Shri Vibhor Indusoot. Astroindusoot. Vibhor indusoot. Suvigya indusoot. Astroindusoot. Astroindusoot indusoot. Article of the Month - Astroindusoot. चंद्र-ग्रहण को वैज्ञानिक दृष्टि से जहाँ एक विशेष खगोलीय घटना माना जाता है वहीँ धर्म और ज्योतिषीय गणनाओं की दृष्टि में चंद्रग्रहण एक बहुत महत्वपूर्ण घटना होती है जो पूरी प्रकृति के साथ साथ व्यक्तिगत रूप से भी हमें प्रभावित करती है, ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार चंद्रग्रहण हमेशा केवल पूर्णिमा के दिन ही होता है जब चन्द्रमाँ और सूर्य एक सीधी रेखा में अर्थात परस्पर 180 डिग्री पर होते हैं और पृथ्वी इनके मध्य आ जाती है।

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ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण एक नकारात्मक और बाधक स्थिति होती है इसलिए ग्रहण होने पर बड़ी प्राकृतिक आपदाएं भौगोलिक उतार चढाव सामाजिक उठापटक और संघर्ष का वातावरण बनता है और विशेष रूप से चद्रग्रहण की बात करें तो चन्द्रमाँ को जगत का मन कहा गया है और ज्योतिष में चन्द्रमाँ को मन का कारक ग्रह माना गया है इसलिए चंद्रग्रहण का समय प्राकृतिक और सामाजिक उठा पटक के साथ साथ मानसिक उद्वेग उत्पन्न करने वाला मानसिक समस्याओं को बढ़ाने वाला समय होता है। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण काल को सांसारिक विषयों के लिए त्याज्य और साधना, मंत्र जाप, ध्यान और दान के लिए श्रेष्ठ समय बताय गया है ग्रहण मोक्ष - 4 : 30 पर. Article of the Month - Astroindusoot. किसी भी व्यक्ति में उपस्थित प्रतिभाएं उसके अभ्यास, परिश्रम और कार्य-निष्ठा पर तो निर्भर करती ही हैं परन्तु व्यक्ति में विशेष प्रतिभा उपस्थित होने के पीछे उसकी कुंडली की ग्रहस्थिति की ही वास्तविक भूमिका होती है वैसे तो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में बहुत से खिलाड़ियों ने अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा है परन्तु वर्तमान समय में क्रिकेट के चमकते सितारे विराट कोहली की प्रतिभा का कोई सानी नहीं है तो आज हम विश्लेषण करेंगे के कौनसे ग्रहयोगों ने विराट कोहली को विलक्षण प्रतिभा देकर उन्हें इतनी कम आयु में इतनी बड़ी सफलता प्रदान की - विराट कोहली की कुंडली धनु लग्न और कन्या राशि की है जिसमे लग्नेश बृहस्पति छटे भाव में और लग्न में शनि स्थित है लग्न में शनि होना व्यक्ति को अनुशाशन प्रिय और दूर द्रष्टा बनाता है साथ ही वक्री होने से बृहस्पति की दृष्टि एकादश भाव में बैठे बुध पर पड़ रही है जो विराट कोहली को अच्छी निर्णय क्षमता और कैचिंग पावर देता है जो अच्छा खिलाडी बनने के लिए बहुत आवश्यक है।

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विराट कोहली की कुंडली में दशमेश बुध और भाग्येश सूर्य की एकादश भाव में युति राज योग बना रही है। । । Article of the Month - Astroindusoot. पिछले डेढ़ माह से मिथुन राशि में राहु और मंगल के एक साथ गोचर करने से अंगारक योग बना हुआ था जो एक बहुत नकारात्मक उठा पटक कराने वाला योग है और इसी कारण से पिछले डेढ़ महीने में बहुतसी अग्नि दुर्घटनाएं और एक्सीडेंट्स सामने आये थे और लगातार ही कोई ना कोई दुर्घटना घटती ही रहती थी और इस बार गर्मियों में तापमान भी हर बार से काफी अधिक रहा, साथ ही अधिकांश लोगों को ज्यादा गुस्सा आना और घर में वाद विवाद बढ़ने जैसी समस्याएं भी बहुत बढ़ रही थी...

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तो आज रात (22/6/2019) 11 बजकर 11 मिंट पर मंगल का कर्क राशि में प्रवेश होगा जिससे डेढ़ महीने से चल रहा अंगारक योग समाप्त हो जायेगा और लगातार चल रही अग्नि दुर्घटनाओं एक्सीडेंट्स और आपसी विवादों और गर्मी में कमी आएगी। मौसम में परिवर्तन होगा और बारिश आने की स्थिति भी जल्द ही बन जाएगी l. Article of the Month - Astroindusoot. गजकेसरी योग ज्योतिष में वर्णित अनेक ग्रहयोगों में से एक बहुचर्चित और विशेष योग है जिसे बहुत शुभ फल देने वाला योग माना गया है।

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गजकेसरी योग बृहस्पति और चन्द्रमाँ से बनने वाला एक योग है, जन्म कुंडली में जब बृहस्पति और चन्द्रमाँ एक साथ बैठे हो, या बृहस्पति, चन्द्रमाँ से केंद्र (1,4,7,10) में हो तो इसे गजकेसरी योग कहते हैं। यदि कुंडली में गजकेसरी योग अच्छी स्थिति में बन रहा हो और उस पर कोई पाप प्रभाव ना हो तो इसके बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं जिस व्यक्ति की कुंडली में गजकेसरी योग हो वह व्यक्ति धन, यश, प्रसिद्धि और ऐश्वर्य को प्राप्त करता है ज्योतिष ग्रंथों में इस योग की बहुत प्रसंसा की गई है ऐसा व्यक्ति लक्ष्मीवान होता है और जीवन को बहुत अच्छी स्थिति में व्यतीत करता है परन्तु ये सभी शुभ फल तभी घटित होते हैं जब गजकेसरी योग अन्य पाप योगो से बाधित न हो रहा हो। गजकेसरी योग जब केंद्र (1,4,7,10 भाव ) या त्रिकोण (1,5,9 भाव ) में बने तो अधिक शुभ होता है। यदि गजकेसरी योग कर्क, धनु या मीन राशि में बन रहा हो तो बहुत शुभ फल करता है। Article of the Month - Astroindusoot. सनातन हिन्दू संस्कृति में एकादशी तिथि और एकादशी व्रत को सर्वाधिक महत्त्व रखने वाला माना गया है एकादशी तिथि का व्रत विशेष रूप से जगत पालनकर्ता भगवान् विष्णु के निमित्त किया जाता है और एकादशा व्रत को जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला माना गया है हिन्दू पंचांग के वर्ष भर में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं पर "निर्जला एकादशी" को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है, हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी "निर्जला एकादशी" कही जाती है और क्योंकि इस एकादशी के व्रत में जल का त्याग किया जाता है अर्थात व्रत के दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता इसी लिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है।

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निर्जला एकादशी का इतिहास और महत्त्व - निर्जला एकादशी को क्या करें – इस दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर मन में भगवान् विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें और दिन भर हरी चिंतन करते हुए संध्याकाल में व्रत का पारायण करें ..... Article of the Month - Astroindusoot.

जन्मकुंडली में राहु की अलग अलग स्थिति वैसे तो हमारे जीवन के बहुत से घटकों को प्रभावित करती है पर यहाँ हम राहु के द्वारा उत्पन्न होने वाली स्वास्थ समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं क्योंकि राहु का हमारे स्वास्थ पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है और कुंडली में कुछ विशेष स्थितियों में होने पर राहु कुछ विशेष स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न करता है – कुंडली में जब राहु छटे आठवे या बारहवे भाव में हो तो ऐसे में राहु स्वास्थ में समस्याएं उत्पन्न करता है इसके आलावा कुंडली के छटे और आठवे भाव पर राहु की दृष्टि होना भी स्वास्थ समस्याएं देता है, और राहु कुंडली में जब इन उपरोक्त स्थितियों में हो तो ऐसे में व्यक्ति को विशेष रूप से - इंफेक्शन की समस्या बहुत होती है व्यक्ति बहुत जल्दी इंफेक्शन का शिकार हो जाता है ऐसे में व्यक्ति को बाहर के खाने से भी बहुत जल्दी इंफेक्शन और पाचनतंत्र की समस्याएं हो जाती हैं, इसके अलावा राहु यदि कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे में व्यक्ति को फ़ूड पॉइजनिंग की समस्या भी समय समय पर परेशान करती है कुंडली में राहु यदि सूर्य के साथ हो तो व्यक्ति को आँखों की समस्या और हेयर फाल बहुत होता है।

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। Article of the Month - Astroindusoot. भारतीय संगीत गायन और म्यूजिक इंडस्ट्री में सर्वोच्च स्थान पर आसीन होने वाली स्वर कोकिला श्री लता मंगेशकर जी भारतीय हिंदी गायन में कोहिनूर के समान ही प्रकाशमान हैं जिनकी प्रतिभा और मधुर आवाज विश्वविख्यात है वैसे तो बहुत से गायक अच्छी प्रतिभा रखते हैं परंतु लता जी की अति मधुर आवाज और अपने गायन को इतने दीर्घ काल तक सर्व श्रेष्ठ स्थिति में रखना किसी दिव्य वरदान से कम नहीं है लता जी न केवल इन्डियन म्यूजिक इंडस्ट्री का कोहिनूर हैं बल्कि भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित हैं और वास्तव में उन्होंने भरतीय संगीत में अपने अतुल्य गायन से जो स्वर्णिम इतिहास रचा है वह सदैव भारतीय संगीत के क्षेत्र में अमर रहेगा, तो आईये जानते हैं के लता जी की कुंडली में कौनसे ऐसे विशेष ग्रह योग हैं जो उन्हें गायन की प्रतिभा के श्रेष्ठ स्तर पर विराजमान करता है।

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.......... श्री लता मंगेशकर जी की कुंडली वृष लग्न और कर्क राशि की है लग्न में बृहस्पति, तीसरे भाव में चन्द्रमाँ, शुक्र चातुर्थ भाव में, पंचम भाव में सूर्य बुध, मंगल केतु छटे भाव में शनि अष्टम में और राहु बारहवे भाव में है। Article of the Month - Astroindusoot. Astro Articles सूर्य और मंगल को मजबूत करने का एक सरल सटीक उपाय ज्योतिषीय रूप से मस्तक पर तिलक लगाना अपना विशेष महत्व रखता है, यहाँ विशेष रूप से हम रोली के तिलक का महत्व देखते हैं तो........

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ज्योतिषीय दृष्टि से मस्तक पर रोली का तिलक लगाना व्यक्ति में स्थित मंगल और सूर्य को मजबूत करने का एक बहुत ही सरल और सटीक उपाय है जिन लोगों की कुंडली में मंगल और सूर्य कमजोर होते हैं उनमे हमेशा आत्मविश्वास की कमी बनी रहती है विल पावर बहुत कमजोर होती है ऐसे लोग कुछ डरपोक स्वाभाव के होते हैं इनमे पराक्रम की कमी होती है और मेहनत वाले काम भी ऐसे लोग नहीं कर पाते......

Article of the Month - Astroindusoot. शनि देव को सृष्टि संचालन के दण्डाधिकारी देवता है इसलिए प्रत्येक जीव को उसके कर्मो के अनुसार फल देते हैं इसलिए शनि का महत्व ज्योतिष, धर्म और अधयात्म से लेकर आम जनता तक के लिए बहुत विशेष है पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावश्या तिथि को "शनि जयंती" मनायी जाती है इस दिन शनि देव के निमित्त विशेष पूजा, मंत्र जाप, दान, हवन अनुष्ठान अच्छे संकल्प आदि विभिन्न प्रकार से शनि देव की उपासना की जाती है।

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इसके साथ ही ज्येष्ठ मास की अमावस्या को ही वट अमावस्या या वट सावित्री व्रत भी होता है इस दिन वट वृक्ष (बड़ का पेड़) का पूजन किया जाता है असल में इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु और अपने मांगल्य को बनाये रखने के लिए व्रत करती हैं और वट वृक्ष का पूजन कर सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं इस दिन व्रत करने पर स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 3 जून सोमवार को है और इसी दिन श्री शनि जयंती वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है 1. प्रातःकाल शनि मंदिर जाकर शनि देव का सरसों के तेल से अभिषेक करें। 2. Article of the Month - Astroindusoot. प्रश्न - यदि कुंडली में शुक्र नीच राशि में हो तो क्या फल होता है ?

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उत्तर - शुक्र धन ऐश्वर्य और विलासिता का कारक है यदि कुंडली में शुक्र नीच राशि में हो तो ऐसे में व्यक्ति को आर्थिक संघर्ष का सामना करना पड़ता है आर्थिक स्थिति एक सीमा के आगे नहीं जा पाती कुंडली में बने अन्य शुभ योगो के कारण व्यक्ति को आर्थिक प्राप्ति तो हो सकती है परंतु शुक्र नीच राशि में होने के कारण जीवन में वैभव नहीं आ पाता, यदि पुरुष जातक की कुंडली में शुक्र नीच राशि में हो तो ऐसे में विवाह होने में अड़चने आना और वैवाहिक जीवन में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है इसके अतिरिक्त नीचस्थ शुक्र के कारण यूरिन रिलेटेड प्रॉब्लब, हार्मोनल इनबेलेन्स और शुगर लेवल को लेकर भी समस्याएं सम्भावित होती हैं। प्रश्न - क्या बुधादित्य योग हमेशा एक समान अच्छा फल देता है ? प्रश्न - क्या कोई भी हमारी राशि के अनुसार धारण किया जाता है ? Article of the Month - Astroindusoot. संतान प्राप्ति या संतान सुख मनुष्य जीवन की एक बड़ी महत्वपूर्ण कड़ी है जो मनुष्य जीवन की श्रृंखला को पूरा करती है। प्रत्येक दम्पत्ति को संतान प्राप्ति व माता-पिता कहलाने के सौभाग्य की इच्छा होती है और जीवन में संतान आने के बाद व्यक्ति के जीवन में नये रंगों से भर जाता है परंतु सभी व्यक्तियों को यह सौभाग्य समान रूप से प्राप्त नहीं होता कुछ लोगो को सुगमता से संतान की प्राप्ति या संतान सुख मिल जाता है तो बहुत से लोगों को बाधाओं के बाद या विलम्ब से संतान प्राप्ति हो पाती है, वास्तव में इसके पीछे हमारी जन्मकुंडली में बनी ग्रहस्थिति की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, तो हमारे जीवन में कौनसे ग्रह और ग्रहस्थितियां संतान सुख नियंत्रित हारते हैं आइये जानते हैं।

... " हमारी कुंडली में "पंचम भाव" संतान सुख का स्थान होता है तथा "बृहस्पति" संतान का नैसर्गिक कारक है अतः मुख्य रूप से तो पंचम भाव और बृहस्पति ही विचारणीय होते हैं परंतु इसमें पंचम से पंचम अर्थात नवम भाव की भी सहायक भूमिका होती है विशेषकर स्त्री की कुंडली में नवम भाव को भी संतान पक्ष के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। अच्छे संतान सुख के योग -

Article of the Month - Astroindusoot. ये तो आप जानते ही हैं के हमारी हिन्दू परम्पराओं में किसी विशेष या महत्वपूर्ण कार्य के लिए शुभ मुहूर्त का बड़ा विशेष महत्त्व होता है और किसी भी ख़ास काम या नए काम की शुरुआत एक शुभ मुहूर्त में ही की जाती है बात चाहे गृहप्रवेश की हो कोई वाहन खरीदना हो नए ऑफिस की ओपनिंग हो कोई बड़ी बिजनेस डील हो या फिर शादी विवाह जैसे मंगल कार्य हो सभी को ख़ास शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है जिससे किया गया कार्य सफल हो सके, असल में मुहूर्त का अर्थ होता है एक ऐसा शुभ समय जब ग्रह नक्षत्र और प्राकृतिक दिव्य ऊर्जाएं आपके लिए अनुकूल होती हैं और जिस समय में प्राकृतिक ऊर्जाएं आपके लिए सहायक है उस समय में किये गए सभी कार्य सफल भी होते हैं और भविष्य में इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं। तो अपने किसी भी जरूरी या ख़ास काम के लिए अगर आप अभीजीत मुहूर्त का प्रयोग करते हैं तो आपको इसके बहुत अच्छे रिजल्ट्स मिलते हैं... घर बनाने के लिए नीवपूजन करना, ग्रह प्रवेश करना, गाड़ी लेना, ऑफिस की ओपनिंग करना, बिजनेस डील करना, रोकना या सगाई आदि सभी मंगल कार्यों के लिए रोजाना पड़ने वाला अभिजीत मुहूर्त एक बहुत शुभ और श्रेष्ठ समय होता है।

। । Article of the Month - Astroindusoot. कुंडली में ग्रहों की कुछ विशेष स्थिति से राशि-परिवर्तन योग बनता है कुंडली में जब कोई भी दो ग्रह एक दूसरे की राशि में स्थित हों तो इसे राशि-परिवर्तन योग कहते हैं उदाहरण के तौर पर जैसे चन्द्रमाँ धनु राशि (बृहस्पति की राशि) में हो और बृहस्पति कर्क राशि (चन्द्रमाँ की राशि) में हो तो यहाँ चन्द्रमाँ और बृहस्पति में राशि परिवर्तन हो रहा है राशि परिवर्तन किस स्थिति में कैसा प्रभाव देगा इसके लिए ग्रहों का भाव और भावेश की दृष्टि से भी आंकलन करना होता है अर्थात दो ग्रह किन भावो के स्वामी होकर आपस में राशि परिवर्तन योग बना रहे हैं।

.......... राशि परिवर्तन योग को मुख्य रूप से तीन स्थितियों में बाटा गया है। ......... 1. महा योग २. Article of the Month - Astroindusoot. वर्ष 2020 में मुख्य ग्रहस्थिति को देखें तो इस वर्ष शनि का संचार पूरे वर्ष मकर राशि में होगा बृहस्पति धनु में राहु मिथुन में और केतु का संचार धनु में होगा। मीन राशि वालों के लिए वर्ष 2020 को देखें तो, ये साल आपके जीवन में पॉजिटिव चेनजिस और बैटरमैन्ट कराने वाला होगा और इस साल आपको अच्छे रिजल्ट्स मिलेंगे। मीन राशि के ज्यादातर लोगों को पिछले काफी लम्बे समय से फैमिली आर्ग्युमेंट्स या गृहक्लेश की समस्या बहुत परेशान कर रही होगी पर इस साल रेग्युलर चल रही फैमिली आर्ग्युमेंट्स की समस्या कम हो जाएगी और घर में सुख शांति बढ़ेगी। इस वर्ष आपके सभी काम और प्लानिंग्स पूरी होंगी और सभी टार्गेट्स अचीव होंगे, इसके अलावा ये साल आपकी प्रोफेशनल लाईफ में बैटरमैन्ट कराएगा और आपका करियर इम्प्रूव होगा साथ ही इस साल आपकी फाइनेंशियल कंडीशन भी पहले से ज्यादा अच्छी होगी और जीवन में आर्थिक उन्नति भी होगी, जिन लोगों के प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ विवाद काफी समय से चल रहे थे उनमे इस साल कुछ ना कुछ पॉजिटिव रिजल्ट्स निकलकर आएंगे और आपके प्रॉपर्टी इशूज सॉल्व होंगे।

इस वर्ष ये उपाय आपके लिए शुभ और सहायक होंगे - 1. Article of the Month - Astroindusoot. Astro Articles इस एक कार्य से प्रशन्न होंगे शनि राहु-केतु ज्योतिष में शनि राहु और केतु तीनो सर्वाधिक चर्चा में रहने वाले ग्रह हैं और इन्ही ग्रहों को लेकर सबके मन में सबसे ज्यादा भय भी बना रहता है क्योंकि शनिं दण्डाधिकारी हैं तो राहु और केतु आकस्मिक परिणाम देने वाले ग्रह हैं जिसके लिए शुभ हैं तो बहुत अच्छा परिणाम देंगे पर जिसके लिए बाधक हैं तो उसे संघर्ष उठा पटक भी बहुत देते हैं... यदि किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती के कारण जीवन में बहुत संघर्ष चल रहा हो या कुंडली में चल रही राहु या केतु की दशा के कारण हर काम में बाधा आ रही हों तो ऐसे में वैसे तो बहुत से ज्योतिषीय उपाय बताये जाते हैं पर यहाँ हम एक बहुत ही सरल उपाय बता रहे हैं जिससे शनि राहु और केतु तीनो ग्रहों से अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं साढ़ेसाती के दुष्परिणाम और राहु केतु की दशा में बढ़ रहा संघर्ष कम हो जाता है तो अगर आप पर भी शनि की साढ़ेसाती या राहु केतु की दशा चल रही हो और संघर्ष बढ़ा रहा हो तो ऐसे में आप भी ये कार्य अवश्य करें आपके जीवन में बहुत सकारात्मक परिवर्तन होंगे।

उपाय - गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को कम्बल दान करें। Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot. Article of the Month - Astroindusoot.

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